फोन करने पर दिखेगा कॉल करने वाले का सही नाम, कंपनियां ला रही है ये खास फिचर Caller Name Display

Caller Name Display: आजकल अधिकतर मोबाइल यूजर्स अनजान नंबर से आने वाली कॉल्स से परेशान रहते हैं. कभी बैंक लोन का झांसा, तो कभी इनाम जीतने का दावा—इन फर्जी कॉल्स से रोजाना लाखों लोग परेशान होते हैं. ऐसे में अब एक अच्छी खबर सामने आई है. देश की तीनों प्रमुख निजी टेलिकॉम कंपनियां—रिलायंस जियो, एयरटेल और वीआई (Vi)—अपने यूजर्स के लिए एक नया फीचर CNAP (Caller Name Presentation) लेकर आ रही हैं, जो इन समस्याओं का समाधान साबित हो सकता है.

CNAP क्या है और कैसे करेगा काम?

Caller Name Presentation (CNAP) एक नई टेक्नोलॉजी है. जिसके ज़रिए मोबाइल स्क्रीन पर कॉलर का असली नाम दिखाई देगा, भले ही वह नंबर आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में न हो. यह नाम वही होगा जो सिम कार्ड के रजिस्ट्रेशन में दर्ज है. यानी पूरी तरह से वेरिफाइड और वास्तविक पहचान. यह सिस्टम Truecaller जैसे थर्ड पार्टी ऐप्स की तरह काम करेगा लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सेवा टेलिकॉम कंपनियों के नेटवर्क से सीधे जुड़ी होगी. जिससे डेटा की सुरक्षा और सटीकता बेहतर होगी.

Truecaller की छुट्टी? नहीं पड़ेगा किसी ऐप की जरूरत

अब तक अनजान कॉल्स की पहचान के लिए ज्यादातर लोग Truecaller या इसी तरह के अन्य ऐप्स का इस्तेमाल करते थे. लेकिन इनमें कई बार गलत जानकारी भी दिखती थी क्योंकि ये ऐप्स यूजर डेटा के आधार पर नाम का अनुमान लगाते हैं. CNAP में ऐसा नहीं होगा क्योंकि यहां जो नाम दिखेगा, वह कॉल करने वाले के सिम रजिस्ट्रेशन का आधिकारिक नाम होगा. इससे न केवल गलत पहचान की समस्या खत्म होगी. बल्कि यूजर्स को थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने और उनकी परमिशन देने की झंझट से भी छुटकारा मिलेगा.

स्पैम और फ्रॉड कॉल्स पर लगेगी लगाम

CNAP फीचर के जरिए स्पैम कॉल्स, ठगी और फर्जी कॉल्स को रोकने में मदद मिलेगी. जब भी कोई फर्जी कॉलर आपको कॉल करेगा, तो स्क्रीन पर उसका असली नाम देखकर आप सतर्क हो सकेंगे. इससे जालसाजों की पहचान पहले ही हो जाएगी और उन्हें लोगों को धोखा देना आसान नहीं रहेगा. टेलिकॉम सेक्टर में इसे डिजिटल सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

टेलिकॉम कंपनियों ने की बड़े तकनीकी ब्रांड्स से साझेदारी

इस सेवा को शुरू करने के लिए जियो, एयरटेल और वीआई ने Dell, Ericsson, HP और Nokia जैसी वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ साझेदारी की है. ये कंपनियां टेलिकॉम ऑपरेटरों को इस नई तकनीक के लिए जरूरी सर्वर, सॉफ्टवेयर और टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करा रही हैं. लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इन कंपनियों ने जरूरी उपकरणों के ऑर्डर दे दिए हैं और कई जगहों पर ट्रायल शुरू भी कर दिया गया है.

TRAI की सिफारिश पर हो रहा है CNAP का रोलआउट

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने फरवरी 2024 में CNAP को लेकर प्रस्ताव दिया था. TRAI का मानना है कि इस फीचर से कॉलिंग सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और यूजर्स को ज्यादा सुरक्षित अनुभव मिलेगा. TRAI की योजना के अनुसार, CNAP को चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा, ताकि नेटवर्क पर दबाव कम हो और सेवा स्थिर बनी रहे.

अभी ट्रायल फेज में, जल्द होगा पूरे देश में लॉन्च

टेलिकॉम कंपनियों ने CNAP पर तेजी से काम शुरू कर दिया है. कुछ क्षेत्रों में इसका ट्रायल रन चल रहा है और नेटवर्क व तकनीक की स्थिरता की जांच की जा रही है. जैसे ही यह सेवा तकनीकी रूप से पूरी तरह से तैयार हो जाएगी, इसे देशभर में रोलआउट कर दिया जाएगा. शुरुआत में यह सेवा संभवतः पोस्टपेड और स्मार्टफोन यूजर्स के लिए शुरू की जा सकती है और इसके बाद प्रीपेड और बेसिक फोन यूजर्स के लिए भी उपलब्ध कराई जाएगी.

क्या होगी आपकी भूमिका? यूजर को क्या करना होगा?

अब सवाल यह है कि जब यह फीचर शुरू होगा तो यूजर को क्या करना पड़ेगा? संभावना है कि यह सेवा डिफॉल्ट रूप से नेटवर्क के जरिए सक्रिय की जाएगी. हालांकि कुछ मामलों में यूजर को अपने फोन की सेटिंग्स में जाकर परमिशन देना पड़ सकता है या फिर टेलिकॉम ऐप्स के जरिए एक्टिवेशन की सुविधा दी जा सकती है. अभी इस पर टेलिकॉम कंपनियों की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं आई है, लेकिन रोलआउट से पहले सभी यूजर्स को SMS या नोटिफिकेशन के जरिए सूचना दी जाएगी.

प्राइवेसी को लेकर हो सकती है बहस

CNAP की मदद से कॉलर का असली नाम सामने आना एक उपयोगी सेवा है, लेकिन इसके साथ प्राइवेसी (गोपनीयता) को लेकर सवाल भी उठ सकते हैं. कई लोग नहीं चाहेंगे कि उनका नाम हर बार रिसीवर को दिखाई दे. इसलिए टेलिकॉम कंपनियों को “Opt-Out” विकल्प भी देना होगा, ताकि जो लोग अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते, वे सेवा को बंद कर सकें.

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