हरियाणा में इन 5000 मकानों को सील करने का आदेश जारी , HC ने दिया कार्रवाई का आदेश House Seal

House Seal: गुरुग्राम के पॉश इलाकों में शामिल डीएलएफ फेज-1 से लेकर फेज-5 तक हजारों मकानों पर सीलिंग की तलवार लटक गई है. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2021 में दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हरियाणा सरकार को दो महीने के भीतर नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र के उल्लंघन वाले मकानों पर नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.

राज्य सरकार को 19 अप्रैल 2024 तक इस कार्रवाई की रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश करनी होगी. इस फैसले के बाद से इन इलाकों में रहने वाले हजारों परिवारों में बड़े पैमाने पर चिंता बढ़ गई है.

2021 में दायर याचिका के बाद आया हाईकोर्ट का आदेश

डीएलएफ फेज-3 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने इन मकानों में हो रहे बड़े पैमाने पर नियमों के उल्लंघन को लेकर 2021 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग को इन अवैध निर्माणों के खिलाफ पहले ही शिकायत दी जा चुकी थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. इस याचिका के आधार पर हाईकोर्ट ने अब सरकार को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

क्या है उल्लंघन का मामला?

  • डीएलएफ फेज-3 में कई मकान 6 से 7 मंजिल तक बनाए गए हैं, जबकि नियमानुसार यह अवैध है.
  • इन मकानों में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं, जिनमें पीजी, गेस्ट हाउस और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान शामिल हैं.
  • मकानों के नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र में गड़बड़ियां पाई गई हैं, जिससे इन पर कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है.
  • सड़क किनारे वाहनों की अव्यवस्थित पार्किंग और शादी-पार्टियों के लिए मकानों के बुक होने से स्थानीय निवासी परेशान हैं.

डीएलएफ फेज-5 में मकान मालिकों और प्रबंधन के बीच हुआ था विवाद

इससे पहले 8 जनवरी 2024 को डीएलएफ फेज-5 में डीएलएफ प्रबंधन और मकान मालिकों के बीच बड़ा टकराव हुआ था. डीएलएफ प्रबंधन ने कुछ मकानों का पानी और सीवर कनेक्शन तक काट दिया था.

इसके विरोध में जिला अदालत में याचिका दायर की गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इस तरह के मामलों की सुनवाई जिला अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस तरह की याचिकाएं अब जिला अदालत में स्वीकार नहीं की जाएंगी.

पीजी और गेस्ट हाउस बनने से लोग परेशान

डीएलएफ फेज-1 से लेकर फेज-5 तक कई मकानों को पीजी (पेइंग गेस्ट) और गेस्ट हाउस में बदल दिया गया है.

  • शादी और पार्टी के लिए गेस्ट हाउस किराए पर दिए जाते हैं. जिससे स्थानीय लोगों को शोरगुल और यातायात अव्यवस्था का सामना करना पड़ता है.
  • स्टिल्ट पार्किंग को रिसेप्शन और कमरों में तब्दील कर दिया गया है. जिससे सड़कों पर वाहनों की अवैध पार्किंग हो रही है.
  • स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अव्यवस्था के कारण उनकी शांति और सुरक्षा प्रभावित हो रही है.

डीएलएफ फेज-3 में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण

डीएलएफ फेज-3 में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के 3124 प्लॉट हैं, जिनमें से 2289 मकानों में नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र का उल्लंघन किया गया है.

  • डीटीपीई (नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग) कार्यालय ने 2245 मकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
  • डीएलएफ फेज-2 में 100 और फेज-4 में 330 मकानों की जांच हुई. जिनमें से 128 में नियमों का उल्लंघन पाया गया.

मकान मालिकों का पक्ष – निर्दोष लोगों को भी मिलनी चाहिए बुनियादी सुविधाएं

इस फैसले के बाद जिन लोगों ने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है, वे भी परेशान हो रहे हैं.

  • एडवोकेट सतपाल यादव जो जिला अदालत में इन मामलों की पैरवी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग कानूनी रूप से मकान बना रहे हैं और नियमों का पालन कर रहे हैं. उन्हें पानी और सीवर जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.
  • उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे.

क्या हो सकते हैं इस मामले में आगे के कदम?

  • हरियाणा सरकार को 19 अप्रैल 2024 तक हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपनी होगी.
  • जिन मकानों का निर्माण नियमों के खिलाफ पाया जाएगा. उन्हें सील करने की कार्रवाई की जाएगी.
  • बिना अनुमति व्यावसायिक गतिविधियां चलाने वाले मकान मालिकों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है.
  • स्थानीय लोगों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए पार्किंग और ट्रैफिक से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा.
  • जो लोग न्यायिक विकल्प तलाशना चाहते हैं, वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.

स्थानीय निवासियों की राय – फैसले से मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद डीएलएफ इलाकों में रहने वाले लोग दो गुटों में बंट गए हैं.

वहीं, कई लोग इसे कठोर कदम मानते हैं और कहते हैं कि वर्षों से यहां रह रहे परिवारों को बिना किसी ठोस समाधान के बाहर करना उचित नहीं होगा.

कुछ लोग कोर्ट के फैसले को सही ठहरा रहे हैं और मानते हैं कि अवैध निर्माण हटाने से क्षेत्र में कानून व्यवस्था और सुरक्षा बेहतर होगी.

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