Property Mutation: पंजाब सरकार ने राज्य के नागरिकों को राहत देने और प्रशासनिक कामकाज को तेज करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने सभी डिप्टी कमिश्नर और राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राज्य में जितने भी इंतकाल (property mutation) के मामले लंबित हैं. उन्हें 4 अप्रैल 2025 तक हर हाल में निपटाया जाए. सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई जिलों और तहसीलों में महीनों से इंतकाल अटके हुए हैं. जिससे आम लोगों को परेशानी हो रही है.
क्या होता है इंतकाल और क्यों है यह जरूरी?
इंतकाल यानी मृतक व्यक्ति की संपत्ति का नाम नए वारिस के नाम पर दर्ज करना. जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को बेचता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उस संपत्ति का मालिकाना हक नए व्यक्ति को देना जरूरी होता है. यह प्रक्रिया राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज की जाती है और इसे ही इंतकाल कहते हैं. अगर समय पर इंतकाल न हो, तो जमीन-जायदाद के दस्तावेज अधूरे माने जाते हैं और इससे कई तरह की कानूनी और व्यक्तिगत समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.
4 अप्रैल तक का अल्टीमेटम, नहीं तो कार्रवाई तय
पंजाब सरकार द्वारा जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि 4 अप्रैल 2025 की समयसीमा के बाद भी यदि कोई इंतकाल लंबित पाया गया, तो संबंधित अधिकारी—तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी और कानूगो—के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसका मतलब यह है कि अब कोई अधिकारी लापरवाही नहीं कर पाएगा और जनता को बेवजह सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.
डेटा के आधार पर हुआ खुलासा
सरकार ने जब कंप्यूटर सिस्टम और रिकॉर्ड की जांच कराई, तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. पता चला कि कई जिलों और तहसीलों में समयसीमा खत्म होने के बावजूद सैकड़ों इंतकाल मामलों का निपटारा नहीं हुआ है. इससे सरकार की छवि भी खराब होती है और जनता में आक्रोश पैदा होता है. इसी को देखते हुए यह निर्देश जारी किए गए हैं कि हर जिले में इंतकाल की समीक्षा की जाए और तुरंत कार्रवाई शुरू हो.
रिश्वतखोरी पर भी सरकार की सख्त नजर
सरकार को यह भी अंदेशा है कि जब लोगों के काम समय पर नहीं होते, तो वे रिश्वत देने को मजबूर होते हैं. यह स्थिति भ्रष्टाचार को जन्म देती है. पंजाब सरकार की स्पष्ट नीति है कि रिश्वतखोरी पर जीरो टोलरेंस हो. इसी वजह से इंतकाल मामलों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का सख्त आदेश दिया गया है. ताकि अधिकारी इस प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से निपटाएं और जनता को निष्पक्ष सेवा मिले.
हर दिन होगी समीक्षा बैठक, अधिकारी रहेंगे जिम्मेदार
राज्य सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि हर तहसील में रोजाना तहसीलदार और नायब तहसीलदार की बैठक होनी चाहिए. जिसमें लंबित इंतकाल मामलों की समीक्षा की जाए. इसके अलावा, सभी संबंधित अधिकारियों—जैसे पटवारी और कानूगो—को भी साफ-साफ कहा गया है कि वे किसी भी तरह की लापरवाही न करें. यह तय किया गया है कि जिस तहसील में काम लटका मिलेगा. वहां के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.
जनता को मिलेगी राहत, काम होंगे समय पर
इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा जनता को मिलेगा. अब उन्हें जमीन के कागजात बनवाने या विरासत के काम कराने में महीनों तक परेशान नहीं होना पड़ेगा. अगर सभी अधिकारी समयसीमा में काम निपटाते हैं तो लोगों को बेवजह के चक्कर, खर्च और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी. यह कदम प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ाएगा.
डिजिटल रिकॉर्ड और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
सरकार ने कंप्यूटर सिस्टम से डाटा निकालकर स्थिति की जांच की है. जिससे पता चलता है कि अब पूरी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से ट्रैक की जा सकती है. इससे पारदर्शिता भी बनी रहती है और यह देखा जा सकता है कि किस अधिकारी के पास कौन-सा मामला कितने दिनों से लंबित है. डिजिटल गवर्नेंस की यह पहल आगे चलकर पंजाब में राजस्व प्रशासन को पूरी तरह तकनीक-आधारित बना सकती है.